उम्मीद
संवलाई शाम मटमैला सूरज अलसाई धूप उदास आँगन फूलों के रंग भी फीके फीके कल्पनाएँ मानो जंगल हो गई हैं मन का हिरण दौड़ता हांफता लगा है थकने धुंधली पड़ने लगी हैं मेरी अल्पनायें बावजूद इसके ... मैंने सहेज रखी हैं मुट्ठी भर किरणे निर्मल सलोनी सुबह के लिए ...