ग्रे शेड अमूमन हमारी जानकारी में होते हैं सिर्फ़ - दो रंग एक -- सफ़ेद दूसरा -- काला ! हाँ और ना !! पर एक रंग बीच का भी है वो है ग्रे। इस रंग में हैं -- किन्तु, परन्तु, लेकिन, जैसी कई आशंका और संभावनाएं...। बहुत कम हैं जो समझ पाते हैं इस रंग की ख़ूबसूरती...। यूँ तो मंझा हुआ कलाकार होता है सभी के अंदर जो मंच देखकर बदलता है रंग.. पर बहुदा हम नहीं नाप पाते इन रंगों के संतुलन का पैमाना...। कि कब सफ़ेद घुलने लगता है काले रंग में और कब काला रंग घुलने लगता है सफ़ेद में और बन जाता है ग्रे। जिसमे दफ़न होती हैं कितनी ही हसरतें !! सच तो ये है अपना वजूद खो कर भी दुनिया टिकी है इसी रंग पर....।।। ######### रूबी मोहन्ती
आपने इतना बढ़िया रचना लिखा है कि मेरे पास अल्फाज़ नहीं है कहने के लिए!
ReplyDeletesanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
प्रिये मित्र आपका ब्लॉग अच्छा लगा आपका विषये सही है मैं भी ब्लॉग लिखता हूँ कृपया इसे भी पढें और बताएं कि कैसा है और इसके बारे मैं सुझाव भी दें धन्येवाद .
ReplyDeleteह्त्त्प://व्व्व.आइना-इ-वक़्त.ब्लागस्पाट.com
मन की बात गहरे bhaw से likhi है आपने. निरंतर लेखन जारी रखें.
ReplyDeleteधन्यवाद!
narayan narayan
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ReplyDeleteआपका हार्दिक स्वागत है.
ReplyDeleteआपके ब्लाग लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
यहाँ भी आयें आपका स्वागत है,
http://www.sahdeo.blogspot.com
hmm.. aise hi na jane kitne arman aur khwab ya to tadak jate hain ya chatak jate hain...... yahi to life hai...
ReplyDeleteshubhkamnao k sath swagat hai blog jagat par
urs most welcome here.please visit-http://kvitakalash.blogspot.com/
ReplyDeletetruth of life
ReplyDeleteहुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.........
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं....
www.samwaadghar.blogspot.com
ये पोस्ट कई मायनों में सुखद है, लगता है भौतिक युग में भी संस्कृति के अवशेष अभी बचे हुए हैं.
ReplyDeleteगीत बहुत खूबसूरत है, कई शब्दों से रचे बिम्ब तो बहुत प्रभावी संप्रेषण कर रहे हैं.
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